बंटी : (डेस्क न्यूज़) : सहरसा : मधेपुरा में पुनः शर्मसार कर देने वाली घटना ने पूरे समाज और प्रशासन व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है । स्टेशन परिसर में लड़कियों से असामाजिक तत्वों के द्वारा मारपीट व कल दिनदहाड़े एक मोटरसाइकिल पर सवार ट्रिपल लोडिंग लड़के के द्वारा पी एस कॉलेज से लेकर बस स्टैंड तक पीछा करते हुए एक लड़की के साथ जबरन फोन नंबर देने और लड़की के विरोध करने के बाद उन लड़कों के द्वारा लड़की के साथ छेड़छाड़ व मारपीट की घटना ने मधेपुरा को फिर से शर्मसार कर दिया है । इतना ही नहीं बस स्टैंड में खड़े उनके मौसा को भी इन लड़कों ने बुरी तरह पीटा । इस घटना के बाद मधेपुरा के खासकर युवाओं में काफी आक्रोश दिखा । आज सोशल मीडिया पर इसकी पूरी तरह भर्त्सना की गई और अनेक प्रकार के विरोध के स्वर सामाजिक व्यवस्था व प्रशासनिक व्यवस्था पर मुखर होकर उठा ।
आइए जानते हैं इन युवाओंने व समाज के गणमान्य लोगों ने क्या कहा इस घटना पर-
बीएनएमयू पीजी की छात्रा व एबीवीपी से कौंसिल मेम्बर उम्मीदवार रही पल्लवी राय कहती हैं कि-
कुछ भी करने से शायद अब कुछ होगा नही ऐसा लगता है। ऐसीघटनाएं रोज मधेपुरा मे हो रही है लेकिन अगर दोषियों को कड़ी सजा होती तो फिर और ऐसी घटनाएं होती ही नही ।इसलिए इन मनचलों को सभी लोगों के बीच कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए । महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा मे अब कोई कोताही बर्दाश्त नही की जा सकती है।
बीएनएमयू पीजी के ही छात्र विभीषण कुमार कहते हैं कि-
सबसे बड़ी बात है कि प्रशासन अपराधियों को पकड़ने के बाद भी उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई नही करती,जिसके कारण अपराधी प्रशासन तक को चुनौती देने से भी नही कतराते।अपराधियों को भयंकर सजा देने के बाद उन्हें समाज के सामने अगर नंगा कर दिया जाय तो फिर अपराध करने का सामर्थ्य नही जुटा पाएगा।ऐसी बहुत सी घटनाएं घटती है जिसको लेकर छात्राएँ पुलिस-प्रशासन का चक्कर नही लगाना चाहतीं,चूंकि प्रशासन पर से ऐसे में भरोसा उठने लगा है।
राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय सहरसा के अध्यक्ष पद उम्मीदवार गौरव कुमार कहते हैं कि-
जिस तरह से हमारे मधेपुरा में आए दिन छात्राओं के साथ छेड़खानी व मारपीट का मामला सामने आ रहा है...
यह सब सुनने के बाद सबसे पहला सवाल उठता है कि हमारी कौन आखिर कैसी मर्दानगी का ढोंग करती फिरती है । जो दिन दहाड़े आँखों के सामने ऐसी घटनाओं को मौनी बाबा बनकर देखने के साथ-साथ घटना को अंजाम दे रहे । कुकर्मी को मानसिक रूप से प्रोत्साहित करने में सहयोग देते हैं। वहीं अगर धार्मिक व जातीय उन्माद फैलाना हो तो उसमें ये लोग काफी आगे रहते हैं। जो प्रशाषण हमारे सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकती उन्हें साफ अक्षरों में अपने-अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए...
आखिर ये कैसा माहौल और कैसा खौफ बना है । शहर में जो आए दिन असामाजिक तत्व इस प्रशासन व्यवस्थाके साथ बेखौफ हो मनमर्जी तरीके से बलात्कार करते हैं और पैंट पहन कर चल देते हैं । वहीं प्रशासन भी नया वस्त्र धारण कर खुद को सफेदपोश कहता-फिरता है ।हम मांग करते हैं मधेपुरा प्रशासन से अगर वो हमारे बहन-बेटियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती तो लिखित रूप में पूरे शहर में बैनर पोस्टर चिपका दें कि लड़कियां घर से ना निकले प्रशासन अक्षम हैं । उनको सुरक्षा प्रदान करने में फिर हम देखते हैं कि उनको सुरक्षा कैसे प्रदान होता है। हम सभी संगठनों को एक मंच पर एक मुद्दा के साथ उतरकर आगे आना होगा।
मधेपुरा के ही युवा जितेंद्र विमल कहते हैं कि-
किसी भी जिम्मेवारी को हमलोग पुलिस प्रशासन और सरकार के माथे मढ़ कर पल्ला झाड़ लेते हैं । यही कमी है । अगर हमलोग किसी भी छात्र, छात्रा, या किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित या परेशान करने वाले व्यक्ति को खुद का प्रताड़ना समझकर दंडित करें या पुलिस के हवाले करने का जिम्मेवारी समझे,और प्रशासन भी उसे उचित सम्मान / पुरस्कार दें, तो ऐसे घटना पर लगाम लगाया जा सकता है ।
अफरोज गांधी कहते हैं कि-
इस प्रकार की घटना समाज के लिए बहुत ही निंदनीय है । हमें लगता है कि समाज के सभी लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हमारे समाज में यदि किसी की भी बहन बेटियों के साथ इस प्रकार की घटना घटती है तो हम उसे अपनी बहन बेटियों के साथ हो रही घटना समझ कर विरोध कर दोषियों को सजा दिलाएं ।
इस प्रकार की घटना समाज के लिए बहुत ही निंदनीय है । हमें लगता है कि समाज के सभी लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हमारे समाज में यदि किसी की भी बहन बेटियों के साथ इस प्रकार की घटना घटती है तो हम उसे अपनी बहन बेटियों के साथ हो रही घटना समझ कर विरोध कर दोषियों को सजा दिलाएं ।
आइए जानते हैं इन युवाओंने व समाज के गणमान्य लोगों ने क्या कहा इस घटना पर-
बीएनएमयू पीजी की छात्रा व एबीवीपी से कौंसिल मेम्बर उम्मीदवार रही पल्लवी राय कहती हैं कि-
कुछ भी करने से शायद अब कुछ होगा नही ऐसा लगता है। ऐसीघटनाएं रोज मधेपुरा मे हो रही है लेकिन अगर दोषियों को कड़ी सजा होती तो फिर और ऐसी घटनाएं होती ही नही ।इसलिए इन मनचलों को सभी लोगों के बीच कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए । महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा मे अब कोई कोताही बर्दाश्त नही की जा सकती है।
बीएनएमयू पीजी के ही छात्र विभीषण कुमार कहते हैं कि-
सबसे बड़ी बात है कि प्रशासन अपराधियों को पकड़ने के बाद भी उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई नही करती,जिसके कारण अपराधी प्रशासन तक को चुनौती देने से भी नही कतराते।अपराधियों को भयंकर सजा देने के बाद उन्हें समाज के सामने अगर नंगा कर दिया जाय तो फिर अपराध करने का सामर्थ्य नही जुटा पाएगा।ऐसी बहुत सी घटनाएं घटती है जिसको लेकर छात्राएँ पुलिस-प्रशासन का चक्कर नही लगाना चाहतीं,चूंकि प्रशासन पर से ऐसे में भरोसा उठने लगा है।
राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय सहरसा के अध्यक्ष पद उम्मीदवार गौरव कुमार कहते हैं कि-
जिस तरह से हमारे मधेपुरा में आए दिन छात्राओं के साथ छेड़खानी व मारपीट का मामला सामने आ रहा है...
यह सब सुनने के बाद सबसे पहला सवाल उठता है कि हमारी कौन आखिर कैसी मर्दानगी का ढोंग करती फिरती है । जो दिन दहाड़े आँखों के सामने ऐसी घटनाओं को मौनी बाबा बनकर देखने के साथ-साथ घटना को अंजाम दे रहे । कुकर्मी को मानसिक रूप से प्रोत्साहित करने में सहयोग देते हैं। वहीं अगर धार्मिक व जातीय उन्माद फैलाना हो तो उसमें ये लोग काफी आगे रहते हैं। जो प्रशाषण हमारे सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकती उन्हें साफ अक्षरों में अपने-अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए...
आखिर ये कैसा माहौल और कैसा खौफ बना है । शहर में जो आए दिन असामाजिक तत्व इस प्रशासन व्यवस्थाके साथ बेखौफ हो मनमर्जी तरीके से बलात्कार करते हैं और पैंट पहन कर चल देते हैं । वहीं प्रशासन भी नया वस्त्र धारण कर खुद को सफेदपोश कहता-फिरता है ।हम मांग करते हैं मधेपुरा प्रशासन से अगर वो हमारे बहन-बेटियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती तो लिखित रूप में पूरे शहर में बैनर पोस्टर चिपका दें कि लड़कियां घर से ना निकले प्रशासन अक्षम हैं । उनको सुरक्षा प्रदान करने में फिर हम देखते हैं कि उनको सुरक्षा कैसे प्रदान होता है। हम सभी संगठनों को एक मंच पर एक मुद्दा के साथ उतरकर आगे आना होगा।
मधेपुरा के ही युवा जितेंद्र विमल कहते हैं कि-
किसी भी जिम्मेवारी को हमलोग पुलिस प्रशासन और सरकार के माथे मढ़ कर पल्ला झाड़ लेते हैं । यही कमी है । अगर हमलोग किसी भी छात्र, छात्रा, या किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित या परेशान करने वाले व्यक्ति को खुद का प्रताड़ना समझकर दंडित करें या पुलिस के हवाले करने का जिम्मेवारी समझे,और प्रशासन भी उसे उचित सम्मान / पुरस्कार दें, तो ऐसे घटना पर लगाम लगाया जा सकता है ।
अफरोज गांधी कहते हैं कि-
इस प्रकार की घटना समाज के लिए बहुत ही निंदनीय है । हमें लगता है कि समाज के सभी लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हमारे समाज में यदि किसी की भी बहन बेटियों के साथ इस प्रकार की घटना घटती है तो हम उसे अपनी बहन बेटियों के साथ हो रही घटना समझ कर विरोध कर दोषियों को सजा दिलाएं ।
इस प्रकार की घटना समाज के लिए बहुत ही निंदनीय है । हमें लगता है कि समाज के सभी लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हमारे समाज में यदि किसी की भी बहन बेटियों के साथ इस प्रकार की घटना घटती है तो हम उसे अपनी बहन बेटियों के साथ हो रही घटना समझ कर विरोध कर दोषियों को सजा दिलाएं ।
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