★धारा 370 न सिर्फ जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देती है बल्कि इस राज्य के लिए कानून बनाने के मामले में केंद्र की शक्तियां भी सीमित करती है।
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सालों से बने रहने के चलते अब यह धारा एक स्थायी प्रावधान बन चुकी है जिससे इसको खत्म करना असंभव हो गया है।
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सालों से बने रहने के चलते अब यह धारा एक स्थायी प्रावधान बन चुकी है जिससे इसको खत्म करना असंभव हो गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति आदर्श के गोयल और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की बेंच की यह टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई करते हुए आई. इसमें दावा किया गया था कि धारा 370 एक अस्थायी प्रावधान के तहत लाई गई थी जिसे 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के साथ ही खत्म हो जाना था. इसमें यह भी कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर का संविधान निरर्थक, अप्रभावी और भारतीय संविधान का उल्लंघन है. अदालत ने यह भी याद दिलाया कि 2017 के एक मामले में वह पहले ही इस बहस को यह कहकर खत्म कर चुकी है कि धारा 370 अब संविधान का एक स्थायी हिस्सा है.
धारा 370 न सिर्फ जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देती है, बल्कि इस राज्य के लिए कानून बनाने के मामले में केंद्र की शक्तियां भी सीमित करती है. इस पर काफी समय से बहस होती रही है. इसे हटाना केंद्र में इन दिनों सत्तासीन भाजपा के कोर एजेंडों में से एक रहा है।
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