पटना [दीनानाथ साहनी]। आरटीआई ने गरीबों के लिए लागू प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि हड़पने में नेता से लेकर मुखिया तक की पोल खोल दी है।
कहीं नेता के रसूख तो कहीं मुखिया की दबंगई से गरीबों को मिलने वाले आशियाने की हकमारी की जा रही है। पटना,नवादा, नालंदा, पश्चिम चंपारण, कैमूर, कटिहार, मधेपुरा जिले में ऐसे मामलों का खुलासा आरटीआइ (लोक सूचना का अधिकार) से हुआ है।
पक्के घर को दिखा आवास योजना में गोलमाल
पटना जिले के कुरकुरी पंचायत, नालंदा के हिलसा प्रखंड के श्रीनगर, नवादा के कौआकोल प्रखंड के किंजार, गायघाट और पकड़ीबेरामा, पश्चिम चंपारण के तेहरा, कैमूर के खनहा, कटिहार के सिसी और मधेपुरा के मधेसी में मुखिया और पंचायत सचिव के कारनामे से गांववाले त्रस्त हैं। ग्रामीणों ने आरटीआइ के जरिये प्रधानमंत्री आवास योजना में घरों के निर्माण में राशि हड़पने का खुलासा किया है। ऐसे मामले सामने आए हैं कि दूसरे के पक्के घर को दिखाकर 70 से 80 हजार रुपये तक राशि का फर्जी भुगतान करा लिया गया। इन मामलों में संबंधित डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।आरटीआइ कार्यकर्ता राम इकबाल मिश्र के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने की राशि ऐसे व्यक्ति को दी गई है, जो पहले ही अपना घर बनवा चुका है। ज्यादा मामलों में स्थानीय अफसरों की संलिप्तता है। उन्होंने बताया कि पूरे मामले में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को पत्र लिखकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
कागज पर रास्ता निर्माण, मनरेगा से भुगतान
छपरा ग्रामीण क्षेत्र का एक रोचक मामला सामने आया है। नौशाद ने आरटीआइ की अर्जी से रौजा में कागज पर निर्मित पक्के रास्ते में मनरेगा से 6.21 लाख भुगतान के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। इस मामले में छपरा जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने जांच का आदेश दिया है। इस गड़बड़ी में एक नेता, जो ठेकेदार भी है, ने जमकर अपने रसूख का इस्तेमाल कर मामले को दबाने में पूरी ताकत लगा दी थी। लेकिन, मुहल्ले के नागरिकों ने डीडीसी के सामने पूरे प्रकरण को उठाया तो नेता का सारा रसूख गायब हो गया।इधर अरवल के उसरी में ग्रामीण शिवचरण मांझी ने आरटीआइ से पंचायत में मनरेगा कार्य में गड़बड़ी उजागर की है। बिना कार्य कराए 2.35 लाख के भुगतान के मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने मनरेगा के तहत करवाए गए कार्यों का भौतिक सत्यापन करवाने का आदेश बीडीओ को दिया है।
आरटीआइ कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा में अनियमितता चरम पर है। बिना काम कराए फर्जी भुगतान के दर्जनों मामले कई जिलों में दर्ज हैं। इसमें मुखिया, पंचायत सचिव, ठेकदार नेता और अफसर तक की संलिप्तता सामने आई है।
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