आखिर वही हुआ जिसका डर था। सन1990 में जो कश्मीर में हुआ था आखिर वही ममता के राज मैं भी होने लगा।
सन1990 में इस्लामिक मजहबी कट्टरपंथियों ने कश्मीर से हिन्दुओं(पंडितों) पर असहनीय अत्याचार किये गये, उनके परिवार की महिलाओं की अस्मिता लूटी, उनके घर-मकानों दुकानों पर जबरन कब्जे किये जिसके कारण उनको मजबूरन जान बचाकर वहां से भागना पड़ा और अब उसी की पुनरावृत्ति पश्चिम बंगाल मैं हो रही है जहाँ मजहबी आक्रान्ताओं का दबदबा इतना ज्यादा हो गया है कि उनके भय से हिन्दू समाज बंगाल से पलायन करने को मजबूर है।
गौरतलब है कि 25 मार्च को पूरे देश में श्रीरामनवमी की शोभायात्रायें निकाली जा रही थीं, हिन्दू समाज पूरे हर्षोल्लास के साथ प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव मना रहा था. पश्चिम बंगाल में भी जोरों से श्रीराम जन्मोत्सव की खुशिया मनाईं जा रही थी तभी अचानक से कुछ मजहबी आक्रान्ता हिन्दू समाज पर कहर बनकर टूटे. मजहबी उन्मादी आक्रान्ताओं की भीड़ ने शोभायात्रा पर बम फेंकना शुरू कर दिए. सबसे ज्यादा हिंसा आसनसोल मैं हुईं. मजहबी आक्रान्ताओं ने यात्रा मैं शामिल लोगों के लहू से बंगाल की सडकों को लाल कर दिया.हिन्दुओं के खिलाफ इस अत्याचार में उन रोहिंग्ययों के भी शामिल होने की खबरें हैं जिनके लिए हमारे देश के कुछ ठेकेदार नागरिकता की मांग कर रहे हैं.
आसनसोल मैं आक्रान्ताओं का कहर इस कदर है कि वहां धारा 144 लगानी पड़ी लेकिन उसके बाद भी लगातार हिन्दू समाज के लोगों पर आक्रान्ताओं के अत्याचार जारी हैं. कर्फ्यू लगने के बाद भी मजहबी आक्रान्ता चुन चुन कर हिन्दुओं का दमन कर रहे हैं. आक्रान्ताओं के इस डर के कारण कश्मीर की तरह आसनसोल से हिन्दू पलायन करने को मजबूर है लेकिन राज्य की मुखिया ममता बनर्जी इन आक्रान्ताओं को रोकने के बजाय दिल्ली में मोदी रोको प्रतियोगिता आयोजित करने की कोशिश कर रही हैं. उनको बंगाल के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की कोई चिंता नहीं है. बंगाल की ये स्थिति देश के लिए काफी चिंताजनक है क्योंकि बंगाल कश्मीर की तरह जिहादियों का गढ़ बन चुका है तथा शायद अब बंगाल मैं हिन्दू होना एक बहुत बड़ा अपराध साबित हो रहा है. जैसे जैसे मुस्लिमों की आवादी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे उस क्षेत्र में जिहादियों का आतंक बढ़ता जाता है तथा वह जगह मिनी पकिस्तान बन जाती है. अतः ये पकिस्तान न बने इसके लिए देश मैं जनसंख्या नियंत्रण कानून लाया जाना जरूरी है।
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