रोहन यादव : पटना : एलजेपी प्रमुख और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि हम चाहते हैं कि गरीब सवर्णो को भी 10 या 12 प्रतिशत आरक्षण मिले। न्यायपालिका में आरक्षण जरूरी है। राजद में हिम्मत है तो तेजस्वी यादव को छोड़कर जीतन राम मांझी को सीएम उम्मीदवार घोषित करे। यूपी में सीएम रहते मायावती ने एससी-एसटी एक्ट को शिथिल करने का जो आदेश निकाला था, उसके लिए उन्हें दलितों से माफी मांगनी चाहिए। हमारी सरकार सांप्रदायिकता को बर्दाश्त करने वाली नहीं है।
दलित सेना के राष्ट्रीय सम्मेलन में शनिवार को पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो दलितों के लिए जितना कर दिया उतना सात जन्म में कोई नहीं कर सकता। मांझी को कहां से कहां तक पहुंचा दिया। कांग्रेस बताये कि अपने शासनकाल में उसने दलितों के लिए क्या किया। एससीएसटी एक्ट भी वीपी सिंह की देन है। नरेन्द्र मोदी ने उसे मजबूत किया। पहले 22 अत्याचार उसके तहत आते थे, मोदी ने बढ़ाकर 47 अत्याचारों को शामिल किया। बिहार में निचली अदालतों में नीतीश कुमार ने आरक्षण की व्यवस्था कर दी है। लेकिन जब तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह व्यवस्था नहीं होगी। दलितों के हक के खिलाफ फैसले आते रहेंगे।
केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण पर बहस एक साजिश के तहत की जा रही है। ऐसा करने वाले चाहते हैं कि पिछड़े और दलित इसी में उलझ कर रह जाएं। लोग कहने लगे हैं कि आरक्षण छीन लेंगे। हम कहते हैं कि अभी और लेंगे। उन्होंने कहा कि चाय बेचने वाला पीएम हो सकता है लेकिन वर्तमान व्यवस्था में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं हो सकता। हम कोर्ट से आग्रह कर रहे हैं कि ऐसी व्यवस्था करे कि दलित, पिछड़े और गरीब भी वहां पहुंचे। राष्ट्रपति ने भी चिंता जताते हुए कहा है कि न्यायपालिका में महिलाएं 25 प्रतिशत भी नहीं हैं। दलित तो शायद ही अब तक कोई हुआ हो।
लोजपा संसदीय बोर्ड के चेयरमैन चिराग पासवान ने कहा कि आजादी के इतने दिनों बाद भी दलितों को हक के लिए संघर्ष की जरूरत पड़ती है तो यह तय करना होगा कि इसके पीछे कौन हैं। अब तक देश पर शासन करने वालों ने क्या किया। मेरे रहते आरक्षण पर आंच भी नहीं आ सकती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आंबेडकर से जुड़े सभी स्थलों को स्मारक घोषित कर उनका विकास किया है।
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