टुडे जागरण: नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में 75 प्रतिशत मंत्री दागी हैं और उनके मंत्रियों के नाम भी पानामा पेपर्स में शामिल है। इस मामले में नीतीश क्यों चुप हैं? हम इसकी जांच की मांग करेंगे।’ पिछले साल अगस्त के महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए तेजस्वी यादव ने ये सवाल किया था। तेजस्वी इस बात से खफा थें कि नीतीश ने महागठबंधन छोड़ बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया। तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश के नए मंत्रिमंडल में 75 प्रतिशत दागी हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि हम फ्लैशबैक में क्यों गए। दरअसल हमेशा नीतीश से सवाल पूछने वाले तेजस्वी यादव की पार्टी ने किया ही कुछ ऐसा है। एनडीए को कमजोर करने के लिए राजद ने जीतन राम मांझी से डील किया। जब मांझी एनडीए छोड़कर महागठंधन में शामिल हुए थे तब यह बात जगजाहिर नहीं हुई थी कि आखिर राजद-हम के बीच क्या डील हुई। मगर अब ये साफ हो गया है कि राजद ने मांझी के बेटे को एमएलसी की सीट देने का सौदा किया था। जब दो दलों के नेता हाथ मिलाते हैं तो इसे सिर्फ राजनीति फायदे के रूप में देखना चाहिए। जनता या जनता से जुड़े मुद्दों की आड़ में ऐसा किया जाता है। सिर्फ लोगों को भ्रमित किया जाता है।
तेजस्वी यादव ने डील करते समय ये नहीं देखा कि जिस मांझी के बेटे को वह एमएलसी बनाने का वादा कर चुके हैं, उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के एमएलसी उम्मीदवार और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को राजद द्वारा समर्थन प्राप्त है। संतोष के खिलाफ बोधगया में आइपीसी की धारोओं के तहत केस दर्ज है। इतना ही नहीं औरंगाबद के एक मामले में कोर्ट संज्ञान भी ले चुका है। संतोष कुमार को हथियार रखने का भी शौक है। उनके पास एक राइफल और एक रिवॉल्वर भी है। तेजस्वी यादव ने जिस दागी नेताओं को मुद्दा बनाकर नीतीश कुमार पर हमला बोला था। आज वह उसी राह पर चल रहे हैं। उनकी पार्टी एक दागी एमएलसी उम्मीदवार को समर्थन दे रही है।
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