प्रकाशक आईडी pub-7875436607466581 ग्राहक आईडी 5956979583 समय क्षेत्र (UTC+05:30) कोलकाता संपादित करें सक्रिय उत्पाद सामग्री TodayJagran(टुडे जागरण): अभी-अभी : दंगा कर रहे दलितों को सुप्रीम कोर्ट का एक और झटका, कहा- जाओ अभी नहीं करेंगे सुनवाई।
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सोमवार, 16 अप्रैल 2018

अभी-अभी : दंगा कर रहे दलितों को सुप्रीम कोर्ट का एक और झटका, कहा- जाओ अभी नहीं करेंगे सुनवाई।

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 अप्रैल) को एससी/ एसटी अधिनियम में संरक्षण के उपायों के फैसले पर रोक लगाने और इस पर पुनर्विचार की एक याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। करीब 150 समूहों से मिलकर बने एससी/एसटी संगठनों के अखिल भारतीय संघ ने आज (सोमवार, 2 अप्रैल) बड़े पैमाने पर हुई हिंसा का संदर्भ देते हुए अविलंब सुनवाई की मांग की। एससी/एसटी संगठनों द्वारा अविलंब सुनवाई की मांग अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले पर सुनवाई उचित समय पर होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च के अपने फैसले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को नरम बनाया था, ताकि अपना कर्तव्य निभा रहे ईमानदार अधिकारियों को कानून के तहत झूठे मुकदमों में फंसा कर ब्लैकमेल किये जाने से रोका जा सके। फैसले की दलितों और विपक्ष ने कटु आलोचना की है। उनका कहना है कि कानून को कमजोर करने से दलितों के खिलाफ भेदभाव और अपराध बढ़ जाएंगे।
वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार रोकथाम अधिनियम को कमजोर करने को लेकर आपत्ति जताते हुए विभिन्न दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पंजाब व हरियाणा में विरोध प्रदर्शन किया। तलवारें, लाठियां, बेसबॉल बैट व झंडे लिए सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने जालंधर, अमृतसर व बठिंडा में दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों को जबर्दस्ती बंद करा दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारियों ने सोमवार (2 अप्रैल) सुबह अमृतसर जिले में एक ट्रेन को रोकने की कोशिश की, लेकिन रेलवे अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद उन्होंने ट्रेन को जाने दिया।

कानून को कमजोर बनाये जाने के विरोध में कड़ी सुरक्षा के बीच दलितों ने पंजाब के जालंधर, होशियारपुर, रोपड़, बठिंडा, अमृतसर और फिरोजपुर में प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन के अंदर भी दाखिल हो गए। उन्होंने ट्रैक पर पुतले भी जलाए। कुछ राजमार्गो व सड़कों को भी जाम कर दिया गया है, जिसके कारण चंडीगढ़ व आसपास के इलाकों में आवागमन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में सोमवार (2 अप्रैल) को आहूत भारत बंद का असर राज्य के कई हिस्सों में देखने को मिला है। पूर्वांचल के आजमगढ़ जिले और पश्चिमी उप्र में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने बसों में आगजनी व तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी। एससी-एसटी अधिनियम में परिवर्तन के विरोध में सोमवार (2 अप्रैल) को आजमगढ़ में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए। इस दौरान जिले के सगड़ी तहसील परिसर के बाहर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। वहीं, अजमतगढ़ में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने सड़क पर उतर कर दुकानें बंद कराई और सड़कों पर जाम लगा दिया।

'संविधान से छेड़छाड़ नहीं चलेगी' के नारे :
आजमगढ़ के अजमतगढ़ में बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोगों ने सोमवार सुबह 10 बजे जुलूस निकाला और बाजार बंद कराने लगे। प्रदर्शनकारियों ने यहां तोड़फोड़ भी की। भीम आर्मी और भारत मुक्ति मोर्चा के 2000 से अधिक सदस्य 'संविधान से छेड़छाड़ नहीं चलेगी, नहीं चलेगी' के नारे लगा रहे थे। इन लोगों ने मुख्य मार्ग पर नारेबाजी करते हुए जाम लगा दिया। पुलिस ने उन्हें हटाना शुरू किया तो विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने बल प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को शांत कराया।
मेरठ में पुलिस पर हमला :
पश्चिमी उप्र में मेरठ शहर के कंकरखेड़ा क्षेत्र में सैकड़ों युवक हाथों में लाठी-डंडे और हथियार लेकर प्रदर्शन करते हुए सड़क पर उतर आए और उन्होंने जमकर बवाल मचाया। इस दौरान कुछ उग्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से नाराज दलित विद्यार्थियों ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। विद्यार्थियों ने परिसर में तोड़फोड़ की। दलितों ने तेजगढ़ी चौराहे पर कब्जा कर चक्का जाम कर दिया। इसके साथ ही कई जगहों पर बसों को भी जलाने की खबर है। पुलिस ने लोगों को दिल्ली से देहरादून की ओर न जाने की सलाह दी है।

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