New Delhi: सीरिया में रसायनिक हमले के बाद सीरिया पर शुक्रवार शाम को अमेरिका और उनके सहयोगी देश फ्रांस और ब्रिटेन ने हमला कर दुनिया में नया तनाव पैदा कर तीसरे विश्वयुद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।
पिछले सप्ताह 7 अप्रैल को हुए केमिकल अटैक के बाद अमेरिका ने दूसरी बार तीन अलग जगहों पर मिलिट्री बेस को निशाना बनाया। एक तरफ रूस के साथ पहले से ही अमेरिका का 36 का आंकड़ा चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ रूस पूरी तरह सीरिया के समर्थन में है। ऐसे में विश्व की दो महाशक्तियों के बीच तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है।इस बीच सीरियाई मिलिट्री ने दावा किया है दमिश्क और और उसके पास अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने अपने संयुक्त ऑपरेशन के दौरान दौरान सीरिया पर कुल 110 मिसाइलें दागी। हालांकि, अभी तक इसमें किसी की भी हताहत की कोई खबर नहीं है। सीरिया में 2011 से चल रहे गृह युद्ध में अमेरिका और उनके सहयोगी देशों द्वारा किया गया यह अब तक का सबसे अटैक है।इस हमले के बाद सीरियाई ब्रिगेडियर जनरल अली मेहौब ने अपने बयान में कहा कि यूएस ब्रिटेन और फ्रांस ने हमारे ऊपर अटैक किया,
जिसमें से ज्यादातर मिसाइलों को हमने नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा, 'उनमें से एक मिसाइल दमिश्क के निकट बारजहा में साइंटिफिक रिसर्च सेंटर पर अटैक किया, जिससे बिल्डिंग बिखर गई। होम्स में एक मिसाइल ने तीन लोगों को घायल कर दिया।' मेहौब का कहना है कि सीरियाई क्षेत्र से 'सशस्त्र आतंकवादियों' को खत्म करने के लिए सीरिया के सैन्य युद्धों से हमले नहीं रोकेंगे।बता दें कि ट्रम्प ने इस फैसले के बारे में संयुक्त राष्ट्र को भी जानकारी नहीं दी है। हालांकि, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के इस साझा हमले का नाटो (NATO) ने समर्थन करते हुए कहा है कि इससे सीरिया में रूस के केमिकल अटैक को रोकने में मदद मिलेगी। नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने कहा कि केमिकल अटैक पूरे दुनिया के लिए शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है इसलिए उसे रोकना जरूर ही। अटैक के बाद शनिवार सुबह सीरिया की सड़कों पर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और जश्न विक्ट्री का साइन का दिखाते हुए जश्न मना रहे थे।
कई लोग सीरिया का झंडा लहरा रहे थे, वहीं कई लोग रूस और ईरान के झंडे लेकर सड़कों पर उतरे थे। लोग नारा लगाते हुए कह रहे थे - 'बशर हम तुम्हारे लोग है।'
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