Patna : राज्य में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पिछले पांच साल में साइबर अपराध से जुड़े मामले में 533 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गयी है। इसमें औसतन सालाना 106 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। अन्य अपराधों की तुलना में इसकी बढ़ोतरी सबसे ज्यादा होने से यह आकलन लगाया जाने लगा है कि आने वाले कुछ साल में यहीं सबसे मुख्य अपराध बन जायेगा।
साइबर अपराध की इस गंभीरता के मद्देनजर राज्य के सभी जिलों में करीब 74 साइबर क्राइम यूनिट (सीसीयू) का गठन होने जा रहा और इन सभी यूनिटों को जोड़ कर समेकित रूप से राज्य स्तरीय एक साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर (4-सी) का गठन होने जा रहा है। राज्य सरकार के स्तर पर इसकी कवायद तेज कर दी गयी है।
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के अधीन इसका पूरी तरह से नियंत्रण होगा और यह वर्तमान में मौजूद ईओयू के कार्यालय के बगल में ही बनेगा। इस राज्य स्तरीय साइबर सेंटर में महिला और बच्चों के प्रति होने वाले सभी तरह के साइबर अपराध से जुड़े मामलों की तफ्तीश करने के लिए अलग से एक सेंटर स्थापित किया जायेगा।
यहां राज्य के सभी स्थानों या जिलों में दर्ज साइबर अपराध से जुड़े मामलों की मॉनीटरिंग की जायेगी और जिस जिला में इससे जुड़े सभी संगीन या जटिल मामलों का समाधान करने में एक्सपर्ट लोगों की सलाह भी प्रदान की जायेगी। इसमें चीफ प्रोग्रामर का भी पद होगा, जो साइबर अपराध से जुड़े तमाम गुर बातों की जानकारी देंगे। यहां जिला स्तर पर गठित होने वाले साइबर क्राइम यूनिट समेत अन्य स्तर के कर्मियों को ट्रेनिंग दी जायेगी।
इस विशेष प्रोजेक्ट के लिए पैसे की स्वीकृति हो गयी है। केंद्र से भी पैसा आ रहा है। इसका अपना भवन तैयार होने में समय लगेगा। तब तक साइबर क्राइम कंट्रोल यूनिट की शुरुआत ईओयू के निर्माणाधीन भवन में हो जायेगी, जिसका निर्माण कार्य जून तक पूरा होने की पूरी संभावना है। सेंटर के लिए सामानों की खरीद भी जून के पहले तक कर ली जायेगी। तीन से चार महीने में सेंटर पूरी तरह से काम करने लगेगा।
इस सेंटर में एक साइबर क्राइम फॉरेंसिक लैब भी होगी, जिसमें साइबर अपराध के अनुसंधान के तरीकों पर रिसर्च भी होगा और कुछ रोचक या जटिल अपराध को केस स्टडी के रूप में रखा जायेगा। यहां ई-लाइब्रेरी भी रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम प्रोटेक्शन यूनिट की तरफ से इसे स्थापित किया जा रहा है।
साइबर अपराध की इस गंभीरता के मद्देनजर राज्य के सभी जिलों में करीब 74 साइबर क्राइम यूनिट (सीसीयू) का गठन होने जा रहा और इन सभी यूनिटों को जोड़ कर समेकित रूप से राज्य स्तरीय एक साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर (4-सी) का गठन होने जा रहा है। राज्य सरकार के स्तर पर इसकी कवायद तेज कर दी गयी है।
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के अधीन इसका पूरी तरह से नियंत्रण होगा और यह वर्तमान में मौजूद ईओयू के कार्यालय के बगल में ही बनेगा। इस राज्य स्तरीय साइबर सेंटर में महिला और बच्चों के प्रति होने वाले सभी तरह के साइबर अपराध से जुड़े मामलों की तफ्तीश करने के लिए अलग से एक सेंटर स्थापित किया जायेगा।
यहां राज्य के सभी स्थानों या जिलों में दर्ज साइबर अपराध से जुड़े मामलों की मॉनीटरिंग की जायेगी और जिस जिला में इससे जुड़े सभी संगीन या जटिल मामलों का समाधान करने में एक्सपर्ट लोगों की सलाह भी प्रदान की जायेगी। इसमें चीफ प्रोग्रामर का भी पद होगा, जो साइबर अपराध से जुड़े तमाम गुर बातों की जानकारी देंगे। यहां जिला स्तर पर गठित होने वाले साइबर क्राइम यूनिट समेत अन्य स्तर के कर्मियों को ट्रेनिंग दी जायेगी।
इस विशेष प्रोजेक्ट के लिए पैसे की स्वीकृति हो गयी है। केंद्र से भी पैसा आ रहा है। इसका अपना भवन तैयार होने में समय लगेगा। तब तक साइबर क्राइम कंट्रोल यूनिट की शुरुआत ईओयू के निर्माणाधीन भवन में हो जायेगी, जिसका निर्माण कार्य जून तक पूरा होने की पूरी संभावना है। सेंटर के लिए सामानों की खरीद भी जून के पहले तक कर ली जायेगी। तीन से चार महीने में सेंटर पूरी तरह से काम करने लगेगा।
इस सेंटर में एक साइबर क्राइम फॉरेंसिक लैब भी होगी, जिसमें साइबर अपराध के अनुसंधान के तरीकों पर रिसर्च भी होगा और कुछ रोचक या जटिल अपराध को केस स्टडी के रूप में रखा जायेगा। यहां ई-लाइब्रेरी भी रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम प्रोटेक्शन यूनिट की तरफ से इसे स्थापित किया जा रहा है।
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