नई दिल्ली : आरक्षण को लेकर अभी भी देश मे काफी आक्रोश देखा जा रहा है। देश मे दलित ही सबसे पिछड़े थे। जिन्हें आरक्षण मिला। और आज के समय मे बहुत से लोगो का विकाश भी हुआ। लेकिन इन दलितों से भी पीछे ये अति पिछड़ी जातियां है। जिनका उत्त्थान नही के बराबर है। अति पिछड़ी जातियों का आर्थिक और शैक्षिक विकास करने के लिए भारतीय जनता पार्टी जातिय समीकरणों को दुरस्त करने में लगी हुई है।
जल्द ही केंद्र सरकार प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल किया जाएगा। इन अति पिछड़ी जातियों में निषाद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ इत्यादि शामिल है। एक अरसे से इन अति पिछड़ी जातियों की मांग रही है कि उन्हें एससी एसटी की सूची में शामिल किया जाए। लंबे इंताजर के बाद केंद्र की प्रदेश सरकार ने अब जाकर इनकी मांग को पूरा करने का विचार किया है। केंद्रीय नेतृत्व अति पिछड़ी जातियों की इस मांग से पूरी तरह सहमत है और उन्होंने जल्द ही इस पर विचार करने का फैसला भी सुनाया।एससी एसटी वर्ग के साथ ओबीसी वालों को शामिल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।इससे उनका आर्थिक और शैक्षिक विकास होगा। साथ ही उन्हें एक समान दर्जा भी मिलेगा। आज भी ओबीसी वर्ग के इन 17 जातियों की आर्थिक और शैक्षिक स्थिति दलितों से भी खराब हो गयी है। न ही सरकारी नौकरी में उनका प्रतिनिधित्व है। और न ही वे समाज के बाकी क्षेत्रों में आगे बढ़ सके हैं। इसलिए सरकार की यह मंसा है। कि इन्हें भी आगे बढ़ने के लिए कुछ आरक्षण प्रदान किया जाय। ताकि इनका भी विकाश हो सके। लाइक और फॉलो बटन दबाकर कॉमेंन्ट बॉक्स में बताइये। कि के आप सरकार के इस निर्णय से सहमत है। कॉमेंन्ट करके बताए।
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